ख़ुत्ब-ए-बिला नुक़्ता
मैं अल्लाह की हम्द करता हूँ जो बादशाह है, हम्द करदा मालिक है, मोहब्बत करने वाला हर मौलूद का मुसव्विर और हर ठुकराए हुए की बाज़गश्त है, फ़र्शे ज़िन्दगी का बिछाने वाला, पहाड़ों का क़ायम करने वाला, बारिश का भेजने वाला और सख़्ितयों का आसान करने वाला है, वह इसरार का जानने वाला मुदर्रिक और मुल्कों का बरबाद करने वाला और ज़मानों का गर्दिश देने वाला उनका लौटाने वाला और उमूर का मौरिद व मुसद्दर है उसकी सख़ावत आम है और उसका इन्तेज़ाम कामिल है। उसने मोहलत दी है और सवाल व उम्मीद में मतावेअत पैदा की है और रमुल व अरमुल को वुसअत दी।
मैं उसकी हम्द करता हूँ ऐसी हम्द के जो तवील है और उसकी तौहीद बयान करता हूँ जैसा के उसकी तरफ़ रूजू होने वालों ने बयान किया है। वही वह ख़ुदा है के उम्मतों का उसके सिवा कोई ख़ुदा नहीं। कोई उस ‘ाख़्स का बिगाड़ने वाला नहीं है जिसको उसने दुरूस्त किया हो, उसने मोहम्मद (स0) को इस्लाम का इल्म और हुक्काम का इमाम ज़्यादतियों का रोकने वाला और वद और सेवाअ (दोनों बुत हैं) के एहकाम को बातिल करने वाला बनाकर भेजा उसने तालीम दी और हुक्म दिया और उसूलों को मुक़र्रर किया और हिदायत की वादा वफ़ाई की ताकीद की और अल्लाह ने इकराम को उसके साथ मुत्तसिल कर लिया और वदीअत की रूह को सलामती के साथ और उस पर रहम और उसके अहलेबैत को मुकर्रम किया। जब तक सराब की चमक बाक़ी है और चान्द रौशन है, और हलाल को देखने वाला सुनता रहे, जान लो ख़ुदा तुमसे रिआयत करे तुम्हारे आमाल की इस्लाह करे हलाल के रास्तों पर गामज़न रहो और हराम को तर्क करो और हुक्मे ख़ुदा को मानो, उसकी हिफ़ाज़त करो और सिलए रहम करो और उसकी रिआयत करो और ख़्वाहिशात की मुख़ालेफ़त करो और उनको छोड़ो और देको कारों की मसाहेबत इख़्तेयार करो। लहो व लाब और लालचों से जुदाई इख़्तेयार करो तुम्हारे हम सोहबत लोग मुआमलात की हैसियत से पाक व पाकीज़ा हों और सरदारी की हैसियत से मुन्तख़ब हों और बहैसियत मेज़बान के ‘ाीरीं बयान हों और आगाह हो के उसी ने हराम किया है तुम्हारी माओं को और हलाल किया है तुम्हारी बीवियों को और मालिक बनाया है तुमको तुम्हारी मुकर्रम दुलहनों का और बनाया है तुमको उनका मेहर देने वाला जैसा के रसूलुल्लाह (स0) ने उम्मे सलमा का मेहर अदा किया वह ख़स्र की हैसियत से बुज़ुर्गतरीन हस्ती हैं उन्होंने औलाद छोड़ी और मालिक बननाया हर उस चीज़ का जो उन्होंने चाहा उस मालिक बनाने वाले ने न ही सहो किया और न वहम व ग़फ़लत। मैं अल्लाह से तुम्हारे लिये सवाल करता हूँ के उनके वसाल की अच्छाईयां तुम्हें मिलें और उनकी सआदत की मदावमत हासिल हो और कल के लिये इस्लाह हासिल की और उसके माल व मआद के सामान के लिये यानी उसकी दुनिया व आख़ेरत की बहबूदी के लिये ख़्वाहिश करता हूँ हम्द व हमेशगी उसी के लिये है और मदहा उसके रसूल (स0) के लिये है जिसका नाम अहमद (स0) है।
मैं उसकी हम्द करता हूँ ऐसी हम्द के जो तवील है और उसकी तौहीद बयान करता हूँ जैसा के उसकी तरफ़ रूजू होने वालों ने बयान किया है। वही वह ख़ुदा है के उम्मतों का उसके सिवा कोई ख़ुदा नहीं। कोई उस ‘ाख़्स का बिगाड़ने वाला नहीं है जिसको उसने दुरूस्त किया हो, उसने मोहम्मद (स0) को इस्लाम का इल्म और हुक्काम का इमाम ज़्यादतियों का रोकने वाला और वद और सेवाअ (दोनों बुत हैं) के एहकाम को बातिल करने वाला बनाकर भेजा उसने तालीम दी और हुक्म दिया और उसूलों को मुक़र्रर किया और हिदायत की वादा वफ़ाई की ताकीद की और अल्लाह ने इकराम को उसके साथ मुत्तसिल कर लिया और वदीअत की रूह को सलामती के साथ और उस पर रहम और उसके अहलेबैत को मुकर्रम किया। जब तक सराब की चमक बाक़ी है और चान्द रौशन है, और हलाल को देखने वाला सुनता रहे, जान लो ख़ुदा तुमसे रिआयत करे तुम्हारे आमाल की इस्लाह करे हलाल के रास्तों पर गामज़न रहो और हराम को तर्क करो और हुक्मे ख़ुदा को मानो, उसकी हिफ़ाज़त करो और सिलए रहम करो और उसकी रिआयत करो और ख़्वाहिशात की मुख़ालेफ़त करो और उनको छोड़ो और देको कारों की मसाहेबत इख़्तेयार करो। लहो व लाब और लालचों से जुदाई इख़्तेयार करो तुम्हारे हम सोहबत लोग मुआमलात की हैसियत से पाक व पाकीज़ा हों और सरदारी की हैसियत से मुन्तख़ब हों और बहैसियत मेज़बान के ‘ाीरीं बयान हों और आगाह हो के उसी ने हराम किया है तुम्हारी माओं को और हलाल किया है तुम्हारी बीवियों को और मालिक बनाया है तुमको तुम्हारी मुकर्रम दुलहनों का और बनाया है तुमको उनका मेहर देने वाला जैसा के रसूलुल्लाह (स0) ने उम्मे सलमा का मेहर अदा किया वह ख़स्र की हैसियत से बुज़ुर्गतरीन हस्ती हैं उन्होंने औलाद छोड़ी और मालिक बननाया हर उस चीज़ का जो उन्होंने चाहा उस मालिक बनाने वाले ने न ही सहो किया और न वहम व ग़फ़लत। मैं अल्लाह से तुम्हारे लिये सवाल करता हूँ के उनके वसाल की अच्छाईयां तुम्हें मिलें और उनकी सआदत की मदावमत हासिल हो और कल के लिये इस्लाह हासिल की और उसके माल व मआद के सामान के लिये यानी उसकी दुनिया व आख़ेरत की बहबूदी के लिये ख़्वाहिश करता हूँ हम्द व हमेशगी उसी के लिये है और मदहा उसके रसूल (स0) के लिये है जिसका नाम अहमद (स0) है।
Assalamualaikum bhai
ReplyDeleteKya Najuk Balaghat book hindi m mill sakti h ?
Yes
DeleteGive me bro
DeleteBhot khub
ReplyDeleteSubhanallah kurban aise khutbaat ke
ReplyDeleteMumbai dongri Shia library me milegi nahjul balagha Hindi me okk
ReplyDeleteMumbai me milegi
ReplyDeleteAssalamu Alaikum
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